चित्त प्रवाह!?

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मुंशी प्रेमचंद ने कहा है कि 👍सरकारें निरर्थक होती हैं।मानवता व प्रकृति को तो सेवक व संरक्षक चाहिए।👌 कार्ल मार्क्स भी कहते हैं कि दुनिया को बर्बाद करने वाले हैं पूंजीवादी ...

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